धरती की गोद में छिपा दर्द, ई- वेस्ट का बोझ, जो भारी बहुत है। तारो का जंगल, मशीनों का मेल, कचरे में घुलती, हमारी यह खेल।
संवेदनशीलता की अब है पुकार, प्रकृति की रक्षा, हमारा है अधिकार। छोटे कदमो से, बड़े बदलाव आएँ, सभी मिलकर स्थिरता अपनाएँ।
कम करे, फिर से इस्तेमाल करे, धरती का मान, हम फिर से सँवारे । रिसायकल की लहर, हर दिल में उठाएँ, पर्यावरण की रक्षा, हम सब सिखाएं।
प्रकृति की धुन पर, चले हम साथ, जलवायु का संदेश, सदा रहे हमारे पास। आओ मिलकर, एकजुट हो जाएँ, हरियाली की छाँव में, हम सब समा जाएँ।
भविष्य की राह, हम सँवारे अब, पर्यावरण की पुकार, है सबसे अदब। धरती की हिफाजत, हमारा कर्तव्य है, आओ मिलकर, करे यह संकल्प सज